कोशिश -- 19 " सुनती हो जी....! कहाँ हो ? " " क्या हुआ ? कीचन में हूँ..। " " अच्छा...! चाय बना रही हो क्या ? " " हाँ जी, दिन भर बैठे - बैठे और क्या करें ! " " ठीक है, एक कप और बढ़ा देना ..! " " क्यों..? इस लॉक डाउन में कौन आ रहा है ? " " अरे, और कौन आएगा.... सामने वाले पांडे जी ने फोन किया है.... वे ही आ रहे हैं । " -- हंसते हुए राघो बाबू ने पत्नी को जवाब दिया। चाय के भगौने में चीनी डालते हुए कांति देवी का मुंह कड़वा - सा हो गया। पांडे जी के आने से वह खुश नहीं होती है। वे जब भी आते हैं, फिजूल की बहस में उलझ जाते हैं। और इस लॉक डाउन में जबकि टीवी पर दिन - रात सबको अपने - अपने घर में रहने की हिदायत दी जा रही है, वे रोज ही शाम को टपक जाते हैं। इस बात को लेकर राघो बाबू से कल भी इनकी खूब तकरार हुई थी। " जब बाहरी आदमी का घर में आना - जाना लगा ही रहेगा तो लॉक डाउन का क्या मतलब ? "-- पांडे जी के जाते ही कांति देवी ने कहा था । " अरे , लॉक डाउन का मतलब यह थोड़ी ही है कि आप अड़ोस - पड़ोस से भी विमुख
जिला उपायुक्त के कार्यालय पर प्रदर्शन के बाद स्मार पत्र सौंपकर मनुआ घर लौटा ही था कि पांडे आ धमका। आते ही उसने कटाक्ष किया, " क्यों मनुआ, देखा साहेब का मास्टर स्ट्रोक ..... एक ही साथ पांच - पांच लोगों को भारत रत्न ! न पक्ष देखा, न विपक्ष , दे डाला भारत रत्न। उन्हें भी, जिनके बारे में कभी कोई सपने में भी नहीं सोचा था। " " हां , पांडे भइया ! यह भी कोई कहने की बात है, साहेब ने आजतक वही किया है, जो कोई नहीं कर पाया। वैसे, अब तो फर्जी की भी अर्जी आ गई है कि लोग उसे बदनामी से न जोड़ें। क्योंकि, साहेब के साथ जुड़कर वह भी सम्मानित हो चुका है। " " ई देख बुड़बक के ! हंसुआ के बियाह में खुरपी का गीत गाने लगा। " " अरे पांडे भइया! ये पांच पुरस्कार किन - किन को दिया गया है और क्यों दिया गया है, यह सबलोग जानते हैं। बिहार के पल्टू राम और यूपी के चौधरी को तोड़ना जो था। किन्तु, कुछ लोग तो इस पर मजे ले रहे हैं, भइया! .....कह रहे हैं कि साहेब का यह डर अच्छा लगा।......वैसे, अभी साहेब का एक और फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है, फर्जी जाति वाला....। " " फर्जीवाड़ा कुछ भी