अपना ख्याल रखना
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बेटे का मैसेज आया है
ह्वाट्सएप पर ,
पापा ! अपना ख्याल रखना
सोचता हूँ मैं , लिख दूँ .....
बेटे ! अपना ही तो रखा है ख्याल आजतक
गाँव की जिस माटी ने जाया
उसे छोड़ दिया एकदिन
जिन हाथों ने सहारा देकर
चलना सिखाया
हँसना , कूदना , दौड़ना सिखाया
उन्हें दौड़ में बहुत पीछे छोड़
मैं आगे निकल गया
फिर कभी मुड़कर नहीं देखा
नहीं ली सुध कभी उनकी
अपना ही तो रखता रहा ख्याल
नदियों का पानी जब हुआ जहरीला
मैंने बंद कर ली अपनी आँखें
नगर का जलापूर्ति हुआ बाधित
मैंने धरती की छाती छेदकर
निकाला पेय जल
जब भूगर्भीय जल में पाये
कुछ खतरनाक लवण
खरीद लिया जल शोधक मशीन
अपना ही तो रखता रहा ख्याल
घर को किया चाक-चौबंद
रोका मच्छरों की फौज को
गंधाती नालियों के दुर्गंध को
लगाया घर में वायु शुद्धिकरण यंत्र
सूरज की ताप से झुलस न जाऊँ
हर कमरे को बनाया वातानुकूलित
कब किया औरों का ख्याल
अपना ही तो रखा है ख्याल अबतक
तुम्हारी शिक्षा व्यवसायिक हो
प्रतियोगिताओं में तुम अव्वल आओ
लचर थी व्यवस्था सरकारी स्कूलों की
हिकारत से देखा उन्हें
डाला तुम्हें महँगे निजी स्कूलों में
तुम्हारे ...सिर्फ तुम्हारे ही
भविष्य सँवारने की चिंता की मैंने
जुड़ा था इससे मेरा स्वार्थ ,
तब ,अपना ही ख्याल तो था
मेरे जेहन मे
इस देश में नहीं है तुम्हारे लिए
कोई सुनहरा भविष्य
बचपन से सुनते रहे तुम,
तुम्हारे अंदर अपने ही देश के प्रति
पैदा किया मैंने घोर वितृष्णा
तुम्हें बनाया अपनी ही प्रतिच्छाया
इतिहास ने खुद को दुहराया
तुम जा बसे विदेश ,
मैंने छोड़ा था गाँव
तुमने छोड़ दिया देश
अपना ही तो ख्याल रखा हमने
जब ज्ञात दुश्मनों से नहीं लड़े
अपने हक के लिए नहीं अड़े
स्वार्थ के सागर में डुबकी लगाई
दुनिया जाये भाड़ में ,अपनी हो कमाई
आत्मकेंद्रित होता गया मैं
सारे सगों को खोता गया मैं
आज एक अज्ञात शत्रु ने हमला बोला है
हमारी व्यवस्था की पोल-पट्टी खोला है
अब भी तुम लिखते हो ...अपना ख्याल रखना ??
-----कुमार सत्येन्द्र
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