मनुआ - 53
5 जनवरी , 2022 को सेल के सभी स्टील संयंत्रों में होनेवाली हड़ताल को लेकर आज दिनभर छोटी - छोटी बैठकें होती रही। उधर से लौटकर मैं मनुआ के साथ बैठा अगले दिन होने वाले धरना की चर्चा ही कर रहा था कि मुँह लटकाए पांडे आ पहुँचा ।
साल का पहला दिन और पांडे भइया इतना गमगीन ! साश्चर्य हमदोनों एक दूसरे का मुँह देखने लगे । मनुआ ने शिष्टाचारवश पांडे को नये साल की शुभकामनाएँ दे दी -- " नव वर्ष मंगलमय हो पांडे भइया ! "
" देख मनुआ ! पहली बात तो आज हमारा नया साल नहीं शुरू हुआ है और दूसरी बात कि .....आग की आँच अब हमरे घर तक ........ऐसे में का खाक मंगल - वंगल होगा....! "-- पांडे ने चिढ़ते हुए कहा ।
" क्या बात है पांडे भइया .... बहुत दुखी नजर आ रहे हो ? "
" सिर्फ दुखी ही नहीं हूँ मनुआ , चिंतित भी हूँ । पता नहीं , किसने उस लौंडे को बहका दिया है ! "
" किसे भइया ? आपके बड़े लड़के...। "
" अरे नहीं , छोटे लड़के को ....। आज मैं घर पहुँचा , तो देखा कि वह एक ही विडियो को बार - बार देख रहा है । विडियो देखने में वह इतना तल्लीन था कि मेरे पदचाप तक नहीं सुने । "
" क्या कोई पोर्न फिल्म था , भइया ...? "
" नहीं रे , किन्हीं साधु - साध्वियों के भाषण थे ...। "
" तो इसमें चिंतित होने की क्या बात है , भइया ? संतों के प्रवचन तो आप भी कराते हो अपने मंदिरों में ...। "
" अरे बुड़बक ! वह प्रवचन नहीं , भाषण था ... वे चीख - चीख कर हथियार चलाने , किसी को मारने - काटने की बात कह रहे थे । "
" अच्छा - अच्छा , वह विडियो .... वह तो हरिद्वार के धर्म संसद का है । इसे लेकर न राज्य की सरकार चिंतित है और न ही केंद्र की , फिर आप क्यों चिंतित हैं ? आपको तो खुश होना चाहिए , क्योंकि आप भी तो मानते हैं कि हिंदू धर्म खतरे में है । "
" वह तो है ही मनुआ ! पर , उसकी रक्षा के लिए जरूरी है कि हमारे ही लड़के ......कहीं पढ़ाई-लिखाई छोड़कर यह लौंडा इन चक्करों में फँस गया , तो हम तो बर्बाद हो जायेंगे । "
" वाह भइया ! गुलगुले से प्रेम और गुड़ से परहेज... ! " , मनुआ ने जोर का ठहाका लगाया । पांडे उल्टे पाँव लौट गया ।
--- कुमार सत्येन्द्र
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