जिला उपायुक्त के कार्यालय पर प्रदर्शन के बाद स्मार पत्र सौंपकर मनुआ घर लौटा ही था कि पांडे आ धमका। आते ही उसने कटाक्ष किया, " क्यों मनुआ, देखा साहेब का मास्टर स्ट्रोक ..... एक ही साथ पांच - पांच लोगों को भारत रत्न ! न पक्ष देखा, न विपक्ष , दे डाला भारत रत्न। उन्हें भी, जिनके बारे में कभी कोई सपने में भी नहीं सोचा था। "
" हां , पांडे भइया ! यह भी कोई कहने की बात है, साहेब ने आजतक वही किया है, जो कोई नहीं कर पाया। वैसे, अब तो फर्जी की भी अर्जी आ गई है कि लोग उसे बदनामी से न जोड़ें। क्योंकि, साहेब के साथ जुड़कर वह भी सम्मानित हो चुका है। "
" ई देख बुड़बक के ! हंसुआ के बियाह में खुरपी का गीत गाने लगा। "
" अरे पांडे भइया! ये पांच पुरस्कार किन - किन को दिया गया है और क्यों दिया गया है, यह सबलोग जानते हैं। बिहार के पल्टू राम और यूपी के चौधरी को तोड़ना जो था। किन्तु, कुछ लोग तो इस पर मजे ले रहे हैं, भइया! .....कह रहे हैं कि साहेब का यह डर अच्छा लगा।......वैसे, अभी साहेब का एक और फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है, फर्जी जाति वाला....। "
" फर्जीवाड़ा कुछ भी नहीं है। साहेब का पूरा अतीत और वर्तमान एकदम झक्कास है। अब तुमलोग चाहे जो कहो। हाथी चले बजार, कुत्ते लगें हजार। "
" हाथी नहीं भइया , ऊंट.. हाँ ऊंट....अब की बार आया है ऊंट पहाड़ के नीचे। साहेब का तो फेफना चू रहा है । लगता है कि आधे - अधूरे मंदिर में भगवान का प्राण प्रतिष्ठा भी डुबती नैया को पार नहीं लगाएगा। "
" डुबती नैया...ठीके कहा, घमंडिया गठबंधन डुबती नैया ही साबित हो रहा है। तभी तो लोग छोड़ छोड़ कर भाग रहे हैं। "
" का भइया, आपने भी बात घुमाना खूबे सीख लिया है ! मालूम है न, साम - दाम - दंड - भेद , सबका इस्तेमाल हो रहा है। उधर ईडी, सीबीआई, न्यायपालिका, चुनाव आयोग सबको जेब में रख लिया है साहेब ने। फिर भी आश्वस्त नहीं हैं। "
" बस, लगे रोना रोने... अरे भाई, जनता जनार्दन से जाकर पूछो कि वे थोक भाव में मोदीजी को वोट क्यों देते हैं ? "
" पूछा है भइया और उन्होंने कहा है कि गोदी मीडिया चाहे जितना ढिंढोरा पीटे, झूठा ओपिनियन पोल दिखावे , इस बार वे लोग मोदीजी के झांसे में नहीं आनेवाले। देखा नहीं, किसानों का फिर से दिल्ली मार्च का फैसला है। मजदूरों - किसानों का संयुक्त रूप से 16 फरवरी को पूरा ग्रामीण क्षेत्र बंद करने का आह्वान है । "
" ई अंद - बंद से चुनाव पर कोई असर नहीं होने वाला है। जीतेंगे तो मोदिए जी । " --- कहते हुए पांडे उठा और चल दिया।
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