मैं डरता हूँ
********
रोज पूछते हो भाई रवीश ,
क्या आप डरते हैं ?
तो सुनलो मेरे भाई ,
मैं डरता हूँ ,
********
रोज पूछते हो भाई रवीश ,
क्या आप डरते हैं ?
तो सुनलो मेरे भाई ,
मैं डरता हूँ ,
मैं डरता हूँ
जीवन में ठहराव से
समाज में बिखराव से
धार्मिक पाखंड से
जातीय भेदभाव से
विश्वास के अभाव से
जीवन में ठहराव से
समाज में बिखराव से
धार्मिक पाखंड से
जातीय भेदभाव से
विश्वास के अभाव से
मैं डरता हूँ,
हाँ भाई , मैं डरता हूँ
उनके मन की बात से
अपनों के भीतरघात से
गुंडों की बारात से
ढोंगी बाबा की पांत से
धर्म के चौखट पर बिछी
राजनीतिक बिसात से
उनके मन की बात से
अपनों के भीतरघात से
गुंडों की बारात से
ढोंगी बाबा की पांत से
धर्म के चौखट पर बिछी
राजनीतिक बिसात से
मैं डरता हूँ ,
हाँ भाई , मैं डरता हूँ
अच्छे मूल्यों के क्षरण से
जनतंत्र के अपहरण से
अपराधियों के हुजूम से
जज के होते खून से
झूठों के दरबार से
विज्ञापनी अखबार से
अच्छे मूल्यों के क्षरण से
जनतंत्र के अपहरण से
अपराधियों के हुजूम से
जज के होते खून से
झूठों के दरबार से
विज्ञापनी अखबार से
मैं डरता हूँ ,
हाँ भाई , मैं डरता हूं
चूंकि मैं डरता हूँ
इसलिए हर घड़ी
अपने भीतर के डर से
लड़ता हूँ
और
सारे डरे हुए लोगों के साथ
सड़क पर उतरता हूँ ।
चूंकि मैं डरता हूँ
इसलिए हर घड़ी
अपने भीतर के डर से
लड़ता हूँ
और
सारे डरे हुए लोगों के साथ
सड़क पर उतरता हूँ ।
----- कुमार सत्येन्द्र
Comments
Post a Comment