सावधान शंबूकों !
कहते हैं
नहीं घूमता
समय का चक्र
विपरीत दिशा में.
पर, नहीं जी,
वह घूमता है
जब चाहे
जिस भी दिशा में.
ऐसा ही कहा जा रहा
ऐसा ही माना जा रहा .
कि आज कलियुग हुआ खत्म
आज प्रारंभ हुआ रामराज्य
यानी त्रेता की वापसी
तो संभलो शंबूकों !
चेत जाओ
जप - तप छोड़ो
वेदों से मुंह मोड़ो
वरना तैयार हो जाओ
शिरोच्छेद के लिए.
ध्यान से सुनों
उनके पदचाप
सावधान! सावधान!!
वे बदलेंगे संविधान
वेश - भूषा, परिधान
गीत - संगीत, खान - पान
सबको दिखाई जाएगी
उनकी जगह
तय की जाएंगी
सबकी सीमाएँ
जगह - जगह होंगी स्थापित
मनु की प्रतिमाएँ.
सावधान शंबूकों !
सावधान !!
यह शुरुआत है
उनके सुदिन और
तेरे दुर्दिन की ,
देखा नहीं
शबरी माँ की दशा ?
कैद कर दी गई
सोने के पिंजरे में
इधर जंगलों में
लगा दी गई आग.
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